आनुवंशिक सुधार

डेरी उद्योग को लाभप्रद बनाने के लिए उत्‍पादकता (प्रति पशु दूध उत्‍पादन) बढ़ाने की आवश्‍यकता है । उत्‍पादकता दो तरीकों से बढ़ाई जा सकती है –

1. मौजूदा पशुओं को बेहतर आहार खिलाकर तथा बेहतर प्रबंधन करके। हालांकि, इससे पशु की आनुवंशिक क्षमता से अधिक दूध का उत्‍पादन नहीं बढ़ाया जा सकता है ।
2. श्रेष्ठ आनुवंशिक क्षमता वाली गाय-भैंसों और सांड़ों का प्रयोग करके भविष्‍य की पीढ़ी के पशुओं में दूध उत्‍पादन की आनुवंशिक क्षमता में सुधार करके ।

 

श्रेष्ठ आनुवंशिक क्षमता वाले माता-पिता का चयन करना एक अधिक जटिल वैज्ञानिक प्रक्रिया है । अतः किसानों, प्रजनन सेवा प्रदाताओं, वीर्य उत्‍पादन केंद्रों तथा अनुसंधान संस्थानों के सम्मिलित प्रयास अपेक्षित हैं ।

किसी आनुवंशिक सुधार कार्यक्रम के लिए महत्‍वपूर्ण हैं कि :

• किसी क्षेत्र के चयनित नस्‍ल के पशुओं की बड़ी संख्‍या में पहचान एवं रिकार्डिंग
• अगली पीढ़ी के पशुओं के बेहतर उत्‍पादन के लिए श्रेष्‍ठ उत्‍पादक पशुओं (सांड़ों तथा गायों/भैंसों) की पहचान करना – ‘’चयन’’ कहलाता है ।
• उत्‍तम बछियों के उत्‍पादन के लिए इन ‘’चयनित’’ पशुओं का अधिक प्रयोग – “गुणन (Multiplication”) कहलाता है ।

पहचान एवं परफॉर्मेंस  रिकार्डिंग

क्षेत्र के अधिक संख्‍या में पशुओं की वंशावली विवरण के साथ योग्‍य लक्षणों की रिकार्डिंग एवं मूल्‍यांकन महत्‍वपूर्ण है । रिकार्डेड पशुओं के इस समूह से, श्रेष्‍ठ पशुओं की पहचान एवं उनका चयन किया जा सकता है ।

पशुओं के उन सभी लक्षणों का मूल्‍यांकन एवं रिकार्ड करने के प्रयास किए जाएं जो दूध उत्‍पादन, दूध की गुणवत्‍ता तथा पशुओं के प्रजनन जैसे कि दूध की मात्रा, महत्‍वपूर्ण दूघ घटक, शरीर रचना, वृद्धि दर, पहले ब्‍यांत पर आयु, प्रजनन दक्षता इत्‍यादि को प्रभावित करता है ।

कंप्‍यूटरीकृत डेटाबेस में प्रत्‍येक पशु के पूरे रिकार्ड को बनाए रख कर, पुन: विश्‍लेषण करने के लिए यह आवश्‍यक है कि प्रत्‍येक पशु को 12 संख्‍या वाले ईयर टैग से पहचाना जाए, जो कि देश के प्रत्‍येक पशु के लिए एक विशिष्ट पहचान होता है।

देश में किसी अन्य पशु मे यह संख्या नहीं होगी। पशु को दी गई प्रत्‍येक सेवा (कृत्रिम गर्भाधान, टीकाकरण इत्‍यादि) को इस टैग संख्‍या के अंतर्गत रिकार्ड दर्ज करना आवश्‍यक होता है । दूध मापने वाले कर्मी दूध दूहने के समय किसानों के घर जाते हैं तथा पहचान कराए गए पशु के द्वारा उत्‍पादित दूध को मापते हैं । वह फैट प्रतिशत, प्रोटीन प्रतिशत, एसएनएफ प्रतिशत इत्‍यादि के परीक्षण के लिए दूध का नमूना भी लेते हैं ।

देश के विभिन्‍न भागों से इन सूचनाओं को एकत्र करने के लिए कंप्‍यूटर द्वारा INAPH (इनाफ) में रिकार्डिंग की व्‍यवस्‍था है जिसका प्रयोग पशु-वार सूचना को दर्ज करने के लिए किया जाता है । विश्‍लेषण पश्‍चात् चुने गए श्रेष्‍ठ पशुओं की सूचनाएं इनाफ में संकलित की जाती हैं । यह प्रणाली सेवाओं के प्रबंधकों, कृत्रिम गर्भाधान कर्मी तथा किसानों को विभिन्‍न निर्णय लेने में उन्‍हें मदद करने के लिए उपयोगी सूचनाओं का निर्माण करता है ।

 

चयन

चुनौती केवल शारीरिक बनावट ही नहीं, बल्कि अधिक उत्पादन करने के लिए उच्च आनुवंशिक क्षमता वाले पशुओं की सही पहचान करना है । पशुओं के द्वारा प्रदर्शित लक्षणों के आधार पर उनका चयन करना आसान है – जैसे कि दूध उत्‍पादन के लिए गायों/भैंसों का चयन करना।

हालांकि, उन लक्षणों को, जिन्‍हें पशु स्‍वयं प्रदर्शित नहीं करते जैसे सांड की दूध उत्‍पादन क्षमता, उनके आधार पर सांड़ों का चयन करना कठिन है । इस प्रकार सांड़ों का चयन, उनके संबंधियों (माता, बहन या पुत्री) के लक्षण के आधार पर किया जाता है । केवल सांड़ की मां, बहन या दादी के प्रदर्शन द्वारा सांड़ों का चयन करने की अपेक्षाकृत अधिक संख्‍या में सांड़ की पुत्रियों (बछियों) के प्रदर्शन के आधार पर चयन करना अधिक सही होता है । दादी, मां या बहन के रिकार्ड पुत्री के रिकार्ड पर आधारित चयन की शुद्धता को और अधिक बढ़ाएंगे ।

वंश-वृद्धि

श्रेष्‍ठ सांड की वंश-वृद्धि

कृत्रिम गर्भाधान (एआई) तकनीक के प्रयोग द्वारा किसी सांड की एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी में आनुवंशिक योगदान को बढ़ाया जा सकता है । कोई अच्‍छा सांड अपने पूरे जीवन काल (5 वर्ष) में प्राकृतिक गर्भाधान से औसतन 450-500 बछड़े/बछियां का उत्‍पादन कर सकता है जबकि, यदि हम किसी सांड़ के हिमिकृत वीर्य का उत्‍पादन कर उसका एआई में प्रयोग करें तो इससे उसके जीवन काल में औसतन 45-50 हजार बछड़े/बछियों का उत्‍पादन किया जा सकता है । 

श्रेष्‍ठ पशुओं की वंशवृद्धि

भविष्‍य के सांड़ों के उत्‍पादन के लिए, हमें दर्ज की गई पशु आबादी से श्रेष्‍ठ उत्‍पादन वाली गायों/भैंसों के चयनित समूह से कुछ श्रेष्ठ सांड़ों का प्रयोग करना चाहिए। हालांकि, अत: प्रजनन के हानिकारक प्रभावों से बचने के लिए करीबी रिश्‍तेदारों के साथ प्रजनन को रोकना  चाहिए । इस प्रकार से उत्‍पन्‍न सांड़ों की आनुवंशिक गुण बेहतर होगी तथा पीढ़ी दर पीढ़ी इसमें वृद्धि होगी । भ्रूण प्रत्‍यारोपण के प्रयोग द्वारा विशेष नस्‍ल की उन्‍नत गायों-भैंसों को और अधिक विकसित किया जा सकता है जिससे कम समय में श्रेष्‍ठ गायों-भैंसों से अधिक संख्‍या में बछड़ों के उत्‍पादन में मदद मिलेगी ।

  1. नस्‍लें
  2. सांड़ उत्‍पादन
  3. अद्यतन सायर प्रूफ