शहद परीक्षण प्रयोगशाला के उद्घाटन समारोह के दौरान अध्यक्ष महोदय, एनडीडीबी का भाषण - 24 जुलाई 2020
माननीय कृषि मंत्री, श्री नरेंद्र सिंह तोमर जी, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री, श्री गिरिराज सिंह जी, श्री परषोत्तम रूपाला जी, श्री कैलाश चौधरी जी, डॉ. संजीव कुमार बालियान जी और श्री मितेश भाई पटेल जी
कृषि सचिव, श्री संजय अग्रवाल तथा कृषि विभाग के अन्य अधिकारीगण, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के श्री मीनेश शाह और अन्य अधिकारीगण, वेबलिंक का माध्यम से जुड़े डेरी सहकारी संस्थाओं के प्रतिनिधि गण तथा मधुमक्खी पालक भाइयों और बहनों ।
यह एनडीडीबी के लिए बड़े सम्मान की बात है कि आज माननीय कृषि मंत्री जी के द्वारा, माननीय पशुपालन मंत्री जी, अन्य मंत्रीगणों और स्थानीय सांसद की गरिमामई उपस्थिती में एनडीडीबी में स्थापित किए गए नवनिर्मित शहद परीक्षण प्रयोगशाला और मधुमक्खी पालन के प्रशिक्षन कार्यक्रम का उद्घाटन किया जा रहा है ।
इस अत्याधुनिक प्रयोगशाला को कृषि मंत्रालय की वित्तीय सहायता से स्थापित किया गया है और अब हमारी शहद उद्योग और मधुमक्खी पालकों को शहद के सारी मानकों के जाँच की सुविधाएं एक ही जगह पर उपलब्ध होंगी ।
कुछ ही महीनों पहले एफएसएसएआई द्वारा शहद के लिए, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्य, नए मानकों की घोषणा की गयी थी, जिसे इस जुलाई के महीने से लागू किया गया है। लेकिन हमारे देश में कॉम्प्रिहेंसिव टेस्टिंग की सुविधाओं के अभाव से इन मानकों पर टेस्टिंग नहीं हो पा रहा था ।
देश में पहली बार यह प्रयोगशाला, शहद की सम्पूर्ण मानकों की जाँच करने की क्षमता रखती है, जिसमें केमिकल टेस्टिंग, एनटीबायोटिक रेसिड्यूस, पेस्टिसाइड रेसिड्यूस, हैवी मेटल्स की जांच तथा सबसे महत्वपूर्ण ऑथेंटिसिटी टेस्टिंग है, जो कि शहद की प्योरिटी को निश्चित कर सकेगा ।
ऑथेंटिसिटी टेस्टिंग के द्वारा शुगर सिरप, राइस सिरप, अन्य प्रकार की चीनी और मिलावटों का पता लगाया जा सकता है, जिससे शहद की गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जा सके ।
एफएसएसएआई मानकों का अनुपालन न केवल निर्यात के लिए अनिवार्य है बल्कि घरेलु बाजार में भी मिलावटी शहद की उपलब्धता पर नियंत्रण लाने के लिए जरूरी है । एनडीडीबी की इस टेस्टिंग प्रयोगशाला को न केवल अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त एनएबीएल द्वारा स्वीकृति प्राप्त है, बल्कि यह ईआईसी और एफएसएसएआई द्वारा भी मान्य है।
आने वाले समय में, आणंद में स्थापित की गयी इस प्रयोगशाला के जैसे, कृषि मंत्रालय, रीजनल लेवेल पर भी ऐसी प्रयोगशालों को स्थापित कर सकती है, जिससे अधिक से अधिक मधुमक्खी पालक और निर्यातक, सहूलियत के साथ, इन टेस्टिंग की सुविधाओं का लाभ उठा सकें ।
आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने देश भर में शहद उद्योग को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर आहवाहन किया है और देश में ‘वाइट रेवोलुशन’ के जैसे ही ‘स्वीट रेवोलुशन’ लाने का विज़न दिया है ।
एनडीडीबी, बी-बोर्ड के सहयोग से देश के डेरी नेटवर्क के माध्यम से किसानों के बीच वैज्ञानिक मधुमक्खीपालन को बढ़ावा दे रही है । पिछले 3 सालों से एनडीडीबी, किसानों को मधुमक्खीपालन के विषय पर ट्रेनिंग दे रहा है । आज तक 60 मिल्क यूनियन के लगभग 5600 किसानों को ट्रेनिंग दिया जा चुका है और कई डेरी कोऑपरेटिव्स ने हनी वैल्यू चैन को स्थापित भी कर लिया है, जैसे की, बनासकांठा, सुंदरबन और मुजफ्फरपुर।
आत्मनिर्भर भारत के इस महत्वपूर्ण अभियान, नेशनल बी कीपिंग and हनी मिशन, के अंतर्गत एनडीडीबी को एक इम्प्लेमेंटिंग एजन्सी माना गया है और इसके कारण निश्चित ही ट्रेनिंग कोऑपरेटिव्स द्वारा मधुमक्खीपालन को अपनाने में गति मिलेगी।
माननीय पशुपालन मंत्री जी के मार्गदर्शन में, एनडीडीबी सदैव डेरी से जुड़े किसानों के जीवन स्तर में सुधार एवं ग्रामीण विकास के लिए कार्य करती रहेगी और आने वाले समय में मधुमक्खी पालन इस कार्य का एक महत्वपूर्ण अंग बनेगा ।
अंत में, मैं माननीय कृषि मंत्री तथा कृषि मंत्रालय को धन्यवाद देना चाहूँगा जिन्होनें इस अत्याधुनिक शहद टेस्टिंग प्रयोगशाला को स्थापित करने के लिए एनडीडीबी को शामिल किया।
आप सभी को फिर से बहुत बहुत धन्यवाद और नमस्कार।
जय हिन्द ।