बछड़ा/बछिया का पोषण
किसी भी डेरी फार्म की सफलता उसके बछड़ों/ बछियों के उचित प्रबंधन पर निर्भर करती है| बछड़ों/ बछियों के प्रारंभिक जीवन में बेहतर पोषण उनके तेजी से विकास और जल्दी परिपक्वता के लिए अच्छा होता है| अपने यौवन के समय परिपक्व शरीर के वजन का 70-75 प्रतिशत पाने के लिए उन्हें सावधानी से पाला जाना चाहिए। छोटे बछड़ों/ बछियों के अनुप्युक्त पोषण के कारण पहले ब्यांत में अधिक उम्र और पूरे जीवन काल की उत्पादकता में कमी हो जाती है|
बछड़ों/ बछियों के खान पान से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:
- बछड़े/ बछियों के जन्म के आधे घंटे के अंदर कोलोस्ट्रम (खीस) खिला देना चाहिये
- बछड़ो/ बछियों को दूध/ दुग्ध प्रतिस्थापक (milk replacer) पिलाना
- जन्म के दूसरे हफ्ते से ही अच्छी गुणवत्ता वाला बछड़ों/बछियों का दाना देना चाहिए
- बछड़ो/ बछियों को अच्छी गुणवत्ता वाली सूखी घास (हे) भी देनी चाहिए
- कृमिनाशक एवं टीकाकरण समय पर करवाना चाहिए
आहार खिलाने का तरीका
बछड़ों/ बछियों को आहार खिलाने का तरीका (जन्म से 26 वें सप्ताह तक):
अवधि | कोलोस्ट्रम (खीस)/ दूध (कि.ग्रा. प्रतिदिन) | बछड़ों/ बछियों का दाना (कि.ग्रा. प्रतिदिन) | अच्छी गुणवत्ता वाली सुखी घास (हे) * (कि.ग्रा. प्रतिदिन) | हरा चारा*(कि.ग्रा. प्रतिदिन) |
0-2 दिन | 1.5-2.0 [कोलोस्ट्रम (खीस)] | -- | -- | -- |
3-4 दिन | 1.5-2.0 (दूध) | -- | -- | -- |
4-14 दिन | 1.0-1.5 (दूध) | 0.10 | 0.10 | -- |
तीसरा सप्ताह | 0.5-1.0 (दूध) | 0.20 | 0.15 | 0.75 |
चौथा सप्ताह |
दूध (0.5 कि.ग्रा.) या दूध प्रतिस्थापक (0.25 कि.ग्रा.) दे सकते हैं, यदि किसान के पास उपलब्ध है तो |
0.25 | 0.20 | 1.25 |
पाचवां सप्ताह | 0.40 | 0.30 | 2.0 | |
छठा सप्ताह | 0.50 | 0.40 | 2.5 | |
सातवां सप्ताह | 0.60 | 0.60 | 3.0 | |
आठंवा सप्ताह | 0.70 | 0.80 | 3.5 | |
नोवां सप्ताह | 0.80 | 0.90 | 4.0 | |
दसवा-ग्यारवा सप्ताह | 1.00 | 0.90 | 5.0 | |
बारहवाँ सप्ताह | 1.20 | 1.00 | 5.0 | |
तेरहवाँ-सोलहवाँ सप्ताह | 1.50 | 1.20 | 6.0 | |
सत्रह-बीस सप्ताह | -- | 1.75 | 1.50 | 7.5 |
इक्कीस-छब्बीस सप्ताह | -- | 2.00 | 2.0 | 8.0 |
ध्यान दें: * नस्ल व बछड़ों/ बछियों के शारीरिक वजन के अनुसार सूखी घास (हे) और हरे चारे की आवश्यकता बदल सकती है| नवजात बछड़े/ बछियों को कोलोस्ट्रम (खीस) पिलाना बहुत जरुरी है| |