बछड़ी पालन कार्यक्रम (सीआरपी)
फायदेमंद डेयरी व्यवसाय के लिए आधुनिक कृषि प्रबंधन और बेहतर पोषण की आवश्यकता होती है। भारत के डेरी किसानों को अक्सर बछड़े की उच्च मृत्यु दर, यौवनारंभ में देरी और पहले ब्यांत (एएफसी) के समय पशुओं का अधिक उम्र होने के कारण आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है । अनुमानतः यह माना जाता है कि यदि बछिया को वैज्ञानिक तरीके से खिलाया तथा प्रबंधन किया जाता है तो लगभग 16-18 महीने की उम्र में यौवन अवस्था प्राप्त कर लेती है , और वो वह लगभग 30-34 महीने की उम्र में पहली बार ब्यात में आ जाती है हालाँकि, व्यावहारिक परिस्थितियों में, पहली ब्यात के समय पशु की उम्र देसी गाय में लगभग 42-51 महीने और भैंसों में 43-47 महीने होती है। इसलिए, बछिया को वैज्ञानिक रूप से विकास के सभी चरणों में आहार प्रबंधन करना महत्वपूर्ण है ताकि वे वांछित दर से बढ़ सके और जल्दी परिपक्वता प्राप्त करें। इसे देखते हुए, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड ने डेरी पशुओं, विशेष रूप से देसी गायों और भैंसों में पहली ब्यात की उम्र को कम करने के लिए वैज्ञानिक बछड़ी पालन कार्यक्रम की रूप-रेखा तैयार की है ।
इस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, गर्भावस्था के अंतिम दो माह के दौरान, गाभिन पशुओं को अधिक प्रोटीन, अधिक ऊर्जा, कोटेड विटामिन, एनआयनिक लवण और चीलेटेड खनिज वाला विशेष रूप से निर्मित ‘गर्भावस्था आहार’ दिया जाता है। ब्यांत के बाद, नवजात बछड़ियों को 6 माह तक, अधिक पौष्टिक ‘काफ स्टार्टर’ दिया जाता है । 6 महीने की उम्र के बाद बछड़ों को उनके अच्छे विकास के लिए जब तक कि वे गर्भावस्था के उन्नत चरण तक नहीं पहुंच जाते “काफ ग्रोथ मील” दिया जाता है । काफ स्टार्टर और काफ ग्रोथ मील दोनों को श्रेष्ठ गुणवत्ता वाली कच्ची सामग्रियों और विशिष्ट पूरकों का उपयोग करके निर्मित किया जाता है जो रूमेन के विकास में सहायता करते हैं, और बछड़ियों में अधिक वृद्धि दर प्राप्त करने में सहायक होते हैं।
एनडीडीबी की तकनीकी सहायता के अंतर्गत गुजरात, पंजाब और कर्नाटक राज्यों में 7 दूध संघों में सीआरपी को क्रियान्वित किया जा रहा है। कार्यक्रम का प्रभाव नीचे प्रस्तुत किया गया है ।
• पारंपरिक बछड़ी पालन की तुलना में “बछड़ी पालन कार्यक्रम” के अंतर्गत पाली गई बछड़ियों में जन्म के समय औसत वजन 15-20% अधिक था और नवजात बछड़ियों में मृत्यु दर भी 50% कम था।
• कार्यक्रम के अंतर्गत पाली गई बछड़ियों में पहले 12 महीनों में औसत दैनिक शारीरिक वजन में वृद्धि क्रमश: 442, 528 और 653 ग्राम कंकरेज, मुर्रा और संकर था, जो सामान्य की तुलना में लगभग 40% अधिक था ।
• कार्यक्रम के अंतर्गत पाली गई बछड़ियों में प्रजनन के लिए परिपक्व होने की औसत आयु कंकरेज, मुर्रा और संकर बछड़ियों में क्रमशः 18, 17 और 12 महीने थी ।
• कंकरेज, मुर्रा और संकर गायों के लिए पहली ब्यात की औसत औसत 30, 29 और 24 महीने थी।