हिमिकृत वीर्य का उत्पादन
सन् 1950 से, हमने एक लंबा सफर तय किया है और कई प्रजनन संबंधी तकनीकों के नियमित उपयोग से उल्लेखनीय परिणाम मिले हैं । हिमिकृत वीर्य के उपयोग से वीर्य केंद्रों पर श्रेष्ठ आनुवंशिक गुणों वाले सांड़ों की पर्याप्त संख्या बनाए रखकर बेहतर लाभ प्राप्त किए जा रहे हैं तथा कृत्रिम गर्भाधान के लिए श्रेष्ठ गुणवत्ता वाले वीर्य डोज उत्पादित किए जा रहे हैं । यहां सांड़ों के स्वास्थ्य का निरीक्षण, जैव विविधता, संसाधनों की प्रभावी उपयोगिता और अधिक उत्पादन बढ़ाने की बेहतर संभावना है ।
पेशेवर ढंग से प्रबंधित एक वीर्य केंद्र जो निर्धारित न्यूनतम मानक प्रोटोकाल (एमएसपी) से दृढ़ता से जुड़ा हुआ है तथा इसमें रोगमुक्त वीर्य उत्पादन के लिए पर्याप्त जैव-विविधता उपलब्ध है, किसी आनुवंशिक सुधार कार्यक्रम का मुख्य केंद्र होता है । बेहतर प्रजनन तथा अधिक तीव्र आनुवंशिक प्रगति को सुनिश्चित करने के लिए यह रोगमुक्त अनुवांशिक गुणवत्ता युक्त हिमिकृत वीर्य का उत्पादन करता है । भारत सरकार की केंद्रीय निगरानी इकाई (सेंट्रल मॉनीटरिंग यूनिट) द्वारा इन्हें ‘ए’ या बी श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है ।
2019-2020 के दौरान, देश में 56 वीर्य क्रेंद्र उपलब्ध हैं और उनमें से 49 वीर्य केंद्रों को भारत सरकार की केंद्रीय निगरानी इकाई (सेंट्रल मॉनीटरिंग यूनिट) द्वारा ‘ए’ या बी श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है ।
एनडीडीबी की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एनडीडीबी डेरी सर्विसेज (एनडीएस) 4 मेगा वीर्य केंद्रों का प्रबंधन करती है जिसमें वार्षिक तौर पर लगभग 3॰7 करोड़ वीर्य खुराकों का उत्पादन होता है जो देश के कुल वीर्य उत्पादन का 30 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है।
साबरमती आश्रम गौशाला, बीडज अहमदाबाद (गुजरात)
साबरमती आश्रम गौशाला (एसएजी) भारत का सबसे अच्छा हिमिकृत वीर्य उत्पादन केंद्र में से एक है जो पशु उत्पादकता बढ़ाने के लिए देश भर में गुणवत्ता वाले हिमिकृत वीर्य खुराक (एफएसडी) की आवश्यकता को पूरा करता है। इसकी स्थापना 1915 में महात्मा गांधी के द्वारा हुई थी, 1973 में एसएजी का प्रबंधन एनडीडीबी को सौंपा गया । अब, एनडीडीबी डेरी सर्विसेज (एनडीएस), जो एनडीडीबी की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है, के द्वारा इसका प्रबंधन किया जा रहा है।
1976 में संस्थापित एसएजी वीर्य केंद्र आईएसओ 9001:2008 प्रमाणपत्र से सम्मानित भारत का सबसे बड़ा वीर्य उत्पादन केंद्र है तथा सीएमयू द्वारा उसके सभी मूल्यांकन में इसे लगातार ए श्रेणी में रखा गया है । एसएजी की मुख्य गतिविधियां सांड़ उत्पादन, हिमिकृत वीर्य उत्पादन, नस्ल संरक्षण तथा चारा बीज उत्पादन है । यह केंद्र वीर्य उत्पादन के लिए गाय एवं भैंसों जैसे की गिर, कांकरेज, साहीवाल, रेड सिंधी, खिल्लार, शुद्ध होलस्टिन फ्रीजियन/जर्सी शुद्ध तथा संकर गाय नस्लों और मुर्रा, जाफराबादी, बन्नी, पंढ़रपुरी तथा महेसाना भैंस नस्लों के विभिन्न जर्मप्लाज्म का प्रबंधन करता है । एसएजी में भ्रूण प्रत्यारोपण तथा इन-विट्रो निेषेचन (आईवीएफ) की उत्कृष्ट सुविधाएं उपलब्ध हैं तथा यह सांड़ उत्पादन के लिए भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक का प्रयोग करता है तथा नस्ल संरक्षण कार्यक्रमों का भी संचालन करता है। एसएजी, रोहतक वीर्य केंद्र का भी प्रबंधन करता है।
रोहतक वीर्य केंद्र
हरियाणा डेरी विकास सहकारी महासंघ लि. (एचडीडीसीएफ) ने 1 सितंबर 2009 को रोहतक वीर्य केंद्र के प्रबंधन का दायित्व राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) को सौंपा जिसे पहले वीर्य बैंक एवं प्रशिक्षण केंद्र (एसबीटीसी) के नाम से जाना जाता था । वर्तमान वीर्य प्रसंस्करण प्रयोगशाला नवीनतम वीर्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी के अनुरूप आधुनिक आयातित/स्वदेशी उपकरणों से पूरी तरह सुसज्जित है। एक गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला भी स्थापित की गई है।
हिमितकृत वीर्य डोजों का उत्पादन दिसंबर, 2011 में शुरू हुआ । चारा उत्पादन कार्यों को सुदृढ़ किया गया है। सीमेन स्टेशन ने 2012-13 के भारत सरकार के सीएमयू मूल्यांकन में ग्रेड 'ए' प्राप्त किया और लगातार उसी ग्रेड को बनाए रखा।
पशु प्रजनन केंद्र, सालोन, रायबरेली, उत्तर प्रदेश
एनडीडीबी ने 25 वर्षों पूर्व पशु प्रजनन केंद्र (एबीसी) की स्थापना इस उद्देश्य से की कि श्रेष्ठ जर्मप्लाज्म के प्रसार द्वारा देश में डेरी पशुओं की आनुवंशिक गुणवत्ता को बेहतर बनाया जाए। अब, यह देश में पशु प्रजनन तथा गुणवत्ता युक्त वीर्य के उत्पादन का एक उत्कृष्ट केंद्र है। एबीसी भारत का तीसरा सबसे बड़ा वीर्य उत्पादक केंद्र है । इसका मुख्य कार्य हिमिकृत वीर्य का उत्पादन करना है, यह हिमिकृत वीर्य तथा प्रजनन सांड़ों के रूप में श्रेष्ठ गुणवत्ता वाली आनुवंशिकी उपलब्ध कराता है । इस केंद्र में साहीवाल, रेड सिंधी, राठी, थारपारकर, हरियाना शुद्ध होलस्टिन फ्रीजियन/जर्सी शुद्ध तथा संकर गाय नस्लों और मुर्रा एवं भदावरी भैंस नस्लों के श्रेष्ठ सांड़ उपलब्ध हैं । एबीसी एक ग्रेड 'ए' वीर्य स्टेशन है, जिसका मूल्यांकन सीएमयू, भारत सरकार द्वारा किया जाता है।
अलामाढ़ी वीर्य केंद्र, चेन्नई, तमिलनाडु
एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज द्वारा मई 2015 में अलामाढ़ी वीर्य केंद्र की स्थापना की गई थी। वीर्य केंद्र में गिर, थारपारकर, साहीवाल, रेड सिंधी, होल्स्टीन फ्रीजियन, जर्सी और संकर गाय की नस्लों और मुर्रा भैंस नस्ल के श्रेष्ठ सांड़ उपलब्ध हैं । अलामाढ़ी वीर्य केंद्र ए श्रेणी का वीर्य केंद्र है, जिसका मूल्यांकन सीएमयू, भारत सरकार द्वारा किया जाता है।
राहुरी वीर्य केंद्र, अहमदनगर, महाराष्ट्र
देश में हिमिकृत वीर्य डोज की बढ़ती मांग को पूरा करने के उद्देश्य से फरवरी 2016 में एनडीडीबी डेरी सर्विसेज द्वारा राहुरी वीर्य केंद्र स्थापित और प्रबंधित किया गया । राहुरी वीर्य केंद्र ए श्रेणी का वीर्य केंद्र है, जिसका सीएमयू, भारत सरकार द्वारा मूल्यांकन किया जाता है। वीर्य केंद्र पर गिर, साहीवाल, खिल्लार, कांकरेज, राठी, होल्स्टीन फ्रीजियन, जर्सी और होल्स्टीन फ्रीजियन संकर गाय की नस्ल और मुर्रा, जाफराबादी, पंढरपुरी भैंस नस्लों के श्रेष्ठ सांड़ उपलब्ध हैं।