Address by Shri Meenesh Shah, Chairman, NDDB Launch of A-HELP training programe 23rd July, 2022 - Bhopal
Hon’ble Minister, Panchayat & Rural Development, Govt. of Madhya Pradesh, Shri Mahendra Singh Sisodiyaji
Hon’ble Minister, Animal Husbandry & Dairy, Govt. of Madhya Pradesh, Shri Prem Singh Patelji
Shri Atul Chaturvedi, Secretary, Department of Animal Husbandry & Dairying, Govt. of India
Shri Nagendra Nath Sinha, Secretary, Department of Rural Development, Govt. of India
Shri Shailendra Singh, Addl. Chief Secretary & Agriculture Production Commissioner, Govt. of Madhya Pradesh
Shri J N Kansotiya, Addl. Chief Secretary, Department of Animal Husbandry & Dairy, Govt. of Madhya Pradesh
Dr Umesh Chandra Sharma, Chairman, Veterinary Council of India
Ms. Varsha Joshi, Addl. Secretary, Dept. of Animal Husbandry & Dairying, Govt. of India
Shri Charanjeet Singh, Addl. Secretary, Department of Rural Development, Govt. of India
Shri Upamanyu Basu, Joint Secretary, Department of Animal Husbandry & Dairying, Govt. of India
Shri Umakant Umrao, Principal Secretary, Department of Panchayat & Rural Development, Govt. of Madhya Pradesh
मंच पर उपस्थित अन्य सभी गणमान्य अतिथि, इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी प्रतिभागी एवं पशु-सखी बहनें ॥
आज , जब पशुपालन एवं डेयरी विभाग, भारत सरकार, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन एवं एनडीडीबी के संयुक्त प्रयास से A-HELP ( Accredited Agent for Health and Extension of Livestock Production) के प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हो रहा है, हम सभी के लिए यह अत्यंत ही प्रसन्नता का अवसर है |
हमारे देश में पशुधन तथा डेरी क्षेत्र, ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। अगर मैं डेरी सैक्टर की बात करूँ तो , आज देश के agricultural commodities के कुल उत्पाद मूल्य में दूध का हिस्सा सबसे अधिक है।
अतः हम सब के लिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है, कि हम अपने पशुपालक भाइयों को वैज्ञानिक तरीकों से पशुपालन व्यवसाय के लिए प्रेरित करें और उन्हें सही प्रशिक्षण दें ताकि उन्हें ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त हो सके ।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए आज एक अच्छी शुरुआत की जा रही है, जिसके तहत NRLM के अंतर्गत जो हमारी पशु-सखी बहनें हैं, उन्हें पशु प्रबंधन और पशु स्वास्थ्य पर प्रशिक्षण दिया जाएगा।
प्रशिक्षण के उपरांत हमारी यह बहनें, वैज्ञानिक रूप से पशुपालन करने की विधि को पशुपालकों तक ले जाएंगी और मैं समझता हूँ, निश्चित रूप से दुग्ध उत्पादन और पशुपालकों की आय वृद्धि में यह योजना असरदार साबित होगी|
जैसा की आप सभी जानते हैं हमारे देश में डेयरी उदद्योग से जुड़े पशुपालक अधिकतर मध्यम एवं लघु किसान हैं | इसका मतलब है कि 1000 लीटर दूध संकलन करने के लिए, हमें लगभग 400-500 पशुपालकों से संपर्क रखना पड़ता है ।
इतना ही नहीं, सभी के लिए पशुपालन का प्रशिक्षण सुनिश्चित करना, स्वच्छ दुग्ध उत्पादन, पशु स्वास्थ्य जैसे विषयों पर जागरूकता कायम करना, अपने आप में काफी चुनौती-पूर्ण कार्य है|
ग्रामीण क्षेत्र के दूर-दराज़ इलाकों तक यह जानकारी पहुंचाने का काम तभी हो सकता है जब गाँव के ही उत्साहित युवा-युवती इस कार्य को करने के लिए आगे आए| A-HELP कार्यक्रम का उद्देश्य भी यही है, ग्रामीण इलाकों में, किसानों की ही बेटियाँ अपने क्षेत्र में पशुपालन से संबन्धित नवीनतम जानकारी का प्रसार करें|
इससे उनको अपने ही गांव के आस-पास आजीविका का एक स्रोत तो मिलेगा ही, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण होगा , उनका यह योगदान उनके क्षेत्र में दुग्ध उत्पादन से पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने में मददगार साबित होगा|
एनडीडीबी इस योजना की सफलता के लिए कृत संकल्पित है । इस कार्यक्रम में Nodal Agency के रूप में एनडीडीबी व्यापक रूप से Co-ordination और monitoring का काम करेगा|
पिछले सप्ताह में ही एनडीडीबी, आणंद में 6 दिवसीय Training of Trainers कार्यक्रम सम्पन्न हुआ| यह पहला कार्यक्रम था और इसी तरह करीब 50 प्रशिक्षकों को एनडीडीबी में प्रशिक्षित किया जाएगा| मध्यप्रदेश के अलावा और तीन राज्यों में भी A-HELP के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे और करीब 8000 A-HELP बहनें अगले दो वर्षों के अंदर प्रशिक्षित होकर इस कार्य को अंजाम देंगे|
इस training module में Dairy Value Chain से संबन्धित हरेक महत्वपूर्ण पहलुओं का ध्यान रखा गया है जैसे कि
- पशु पोषण
- पशु स्वास्थ्य
- पशु प्रजनन
- आहार संतुलन
- हरा चारा उत्पादन तथा संरक्षण
- स्वच्छ दूध उत्पादन
- प्रमुख रोगों की पहचान और इसके निवारक उपाय
इसके अलावा इस training programme में पशु सखी बहनों को e-Gopala app के प्रयोग के बारे में भी प्रशिक्षित किया जाएगा।
e-Gopala app के माध्यम से पशु आहार की लागत को कम करने, डेरी पशुओं के आहार को संतुलित करने और दूध उत्पादन से लाभप्रदता में सुधार लाने में मदद मिलती है। इस एप्लिकेशन को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है तथा पशुपालक महिलाएं बड़ी आसानी से कुछ सरल प्रक्रियाओं को अपनाकर इस एप्लिकेशन की मदद से अपने पशुओं के लिए आहार का संतुलन कर सकते हैं ।
पारंपरिक पशु चिकित्सा के माध्यम से कैसे कम खर्च में mastitis जैसी बीमारी की रोकथाम की जा सकती है, इसके बारे में भी पशु सखी बहनों को बताया जायेगा । महिलाएं इस चिकित्सा में प्रयोग होने वाले formulations को घर में उपलब्ध सामग्री से ही तैयार कर सकती हैं और इससे किफायती और असरकारक समाधान मिलता है और एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग में कमी आती है ।
पशु चिकित्सा के माध्यम से 20 से अधिक अन्य आम बीमारियों की रोकथाम की जा सकती है, जो पशुओं की उत्पादकता तथा स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं।
पशुपालन से उत्पन्न गोबर का सही प्रबंधन भी महत्वपूर्ण है । इससे bio gas तथा जैविक खाद का उत्पादन होगा ,और अतिरिक्त आय मिलेगी। इससे महिलाओं को रसोई के लिए बहुत कम परिश्रम एवं लागत में ईंधन मिलेगा। इससे वातावरण में हानिकारक methane gas का उत्सर्जन भी कम होगा और गाँव की स्वच्छता में सुधार आएगा। इसके बारे में भी इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में बताया जायेगा।
सबसे अच्छी बात है कि कई तरह के practical classes और exposure visits को भी इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल किया गया है ताकि पशु सखी बहनों को पशुपालन से संबन्धित गतिविधियों में दक्ष (skilled) बनाया जा सके।
Learning एक continuous process है और इसीलिए एनडीडीबी में हमारा यह मानना है कि प्रशिक्षण कोई एक-बार आयोजित किए जाने वाला कार्य नहीं है| प्रशिक्षण का चक्र निरंतर चलते रहना बहुत ज़रूरी है और इसी उद्देश्य से भिन्न-भिन्न माध्यमों से प्रशिक्षणार्थीयों से जुड़े रहना अनिवार्य है| एनडीडीबी का learning eco-system प्रशिक्षार्थीयों की लगातार क्षमता वृद्धि एवं सूचना के प्रसार को सुनिश्चित करता है|
दुग्ध व्यवसाय से जुड़े पशुपालक , नीति-निर्धारक और professionals के क्षमता विकास पर एनडीडीबी ने शुरू से ही ध्यान केन्द्रित किया है । पचास वर्षों से अधिक समय से चल रहे इस क्षमता विकास के कार्यक्रम के अंतर्गत, 6 लाख से अधिक पशुपालक, 1 लाख से अधिक संचालक मण्डल एवं बोर्ड के सदस्य और लगभग 3 लाख Professionals को प्रशिक्षित किया गया| इसके अलावा, करीब 40 हज़ार Village Resource Persons को प्रशिक्षित करके यह सुनिश्चित किया गया कि पशुपालन की जानकारी और सुविधाएं पशुपालकों के घर तक पहुँच सके| एनडीडीबी के विभिन्न प्रशिक्षण केन्द्रों में प्रति वर्ष लगभग 12 हज़ार प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया जाता है, जिसमें करीब 6 हज़ार पशुपालक शामिल हैं|
अंत में, मैं, यहां उपस्थित सभी पशु-सखी बहनों को शुभ कामनाएँ देता हूँ और आग्रह करता हूँ कि वे पूरे लगन से इस प्रशिक्षण को पूरा करें एवं इस योजना के लक्ष्य को पूरा करने में सक्रिय होकर देश के पशुपालकों के आर्थिक विकास में भागीदार बनें|
इस कार्यक्रम की सफलता की कामना के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूँ।
धन्यवाद|