डेरी विकास के लिए इनोवेशन और डिजिटलीकरण का उपयोग कर रहा है भारत : FAO, रोम में अध्यक्ष, एनडीडीबी
डेरी विकास के लिए इनोवेशन और डिजिटलीकरण का उपयोग कर रहा है भारत : FAO, रोम में अध्यक्ष, एनडीडीबी
आणंद, 20 अक्टूबर, 2022 : राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के अध्यक्ष श्री मीनेश शाह ने रोम, इटली में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा आयोजित विज्ञान और इनोवेशन फोरम 2022 पर वैश्विक विशेषज्ञों को भारत की लघुधारक डेरी प्रणाली की जानकारी दी और डेरी विकास के लिए इनोवेशन और डिजिटलीकरण के उपयोग से संबंधित अनुभवों को साझा किया।
विश्व खाद्य फोरम के अलावा, अध्यक्ष, एनडीडीबी ने FAO की उप-महानिदेशक सुश्री बेथ बेचडोल और सुश्री मारिया हेलेना सेमेडो तथा निदेशक, पशु उत्पादन एवं स्वास्थ्य प्रभाग (NSA) श्री थानावत तिएनसिन से मुलाकात की और भारतीय लघुधारक कृषि प्रणाली, सतत पशुधन उत्पादन प्रणालियों और इनोवेशन के बारे में चर्चा की। बैठकों के दौरान, डेरी विकास के क्षेत्र में साथ मिलकर काम करने के अवसरों पर चर्चा की गई और श्री शाह ने भारत की G20 की अध्यक्षता के हिस्से के रूप में संयुक्त रूप से एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित करने का भी प्रस्ताव रखा।
'सतत पशुधन क्षेत्र परिवर्तन के लिए विज्ञान और इनोवेशन की उपयोगिता' विषय पर आयोजित सत्र के दौरान श्री शाह ने 'भारत में छोटे स्तर पर डेरी उत्पादकों के समर्थन में तकनीकी इनोवेशन' की बात की और दूध की कमी वाले देश से विश्व में सर्वाधिक दूध उत्पादक देश बनने की भारत की परिवर्तनकारी यात्रा के बारे में विस्तार से बताया। श्री शाह ने कहा कि भारत वैश्विक दूध उत्पादन में 23 प्रतिशत का योगदान देता है, जिसमें लगभग 6 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर शामिल है । तकनीकी, वैज्ञानिक, पद्धतियों में यह इनोवेशन और विशेष रूप से लोगों को एक साथ लाने और शासन व्यवस्था के निर्माण के कारण संभव हुआ है।
अध्यक्ष, एनडीडीबी ने कहा कि डिजिटल पारिस्थितिकी प्रणालियों (Digital Ecosystems) पर ध्यान केंद्रित किया गया है । जैसे पशु उत्पादकता और स्वास्थ्य के लिए सूचना नेटवर्क (INAPH), जो एक राष्ट्रीय डेटाबेस है, इसमें 230 मिलियन से अधिक पशु पंजीकृत हैं तथा राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन (NDLM), जिसमें ट्रेसेबिलिटी, रोग निगरानी और नियंत्रण कार्यक्रम जैसे घटक शामिल हैं ।
श्री शाह ने आगे कहा कि एनडीडीबी द्वारा भागीदार संस्थाओं के साथ मिलकर अपनायी जा रही खाद (गाय का गोबर) प्रबंधन पहल घरेलू स्तर की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रसोई गैस उपलब्ध कराने, जैव-घोल, ठोस और तरल जैविक उर्वरकों की बिक्री से आय प्राप्त करने, मिट्टी की उर्वरता में सुधार लाने और साथ ही, ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में सफल साबित हुई है। व्यापक स्तर बायो-गैस संयंत्रों की स्थापना द्वारा भी इस पहल को आगे बढ़ाया जा रहा है, जिससे डेरी संयंत्रों की बिजली की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकेगा ।
पैनल परिचर्चा के दौरान, एनडीडीबी के अध्यक्ष ने यह बताया कि दुधारू पशुओं की उत्पादकता में सुधार से लेकर दूध और दूध उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार और मूल्य संवर्धन तक डेरी क्षेत्र में इनोवेशन के पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं, जिससे हमारे छोटे और सीमांत डेरी किसानों के साथ-साथ उपभोक्ताओं को भी लाभ होगा। श्री शाह ने कहा कि प्रयोगशाला की सफलताओं को क्षेत्र में ले जाने और परिचालन दक्षता में सुधार लाने और डेरी उद्योग का पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों को कम करने का समय आ गया है, जिसके लिए इस प्रकार के क्रॉस-लर्निंग के अनुभवों को साझा करने वाले प्लेटफॉर्म पूरे विश्व में सर्वोत्तम प्रक्रियाओं को लागू करने की दिशा में अहम होंगे।
FAO के पशु उत्पादन और स्वास्थ्य प्रभाग के निदेशक श्री थानावत तिएनसिन, राष्ट्रीय पशु चिकित्सा प्रयोगशाला, बोत्सवाना की निदेशक सुश्री चंडापिवा मारोबेला-राबोरकग्वे, अर्जेंटीना के स्थायी प्रतिनिधि और पशुधन पर कृषि समिति (COAG) की उप-समिति के अध्यक्ष महामहिम श्री कार्लोस चेर्नियाक, एफएओ में माली की उप-स्थायी प्रतिनिधि और COAG की उपाध्यक्ष सुश्री हलीमाटो कोन ट्राओरे, उप महानिदेशक, अनुसंधान और विकास - एकीकृत विज्ञान, अंतर्राष्ट्रीय पशुधन अनुसंधान संस्थान (ILRI) श्री इयान ए राइट, ग्लोबल डेरी प्लेटफॉर्म के कार्यपालक निदेशक श्री डोनाल्ड मूर ने भी इस फोरम में भाग लिया।