एनडीडीबी द्वारा प्रवर्तित आणंद की मुजकुवा सखी खाद सहकारी मंडली लिमिटेड की महिला सहकारी लीडरों को गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान माननीय राष्ट्रपति जी ने 'एट होम रिसेप्शन' में सम्मिलित होने का दिया निमंत्रण।

एनडीडीबी द्वारा प्रवर्तित आणंद की मुजकुवा सखी खाद सहकारी मंडली लिमिटेड की महिला सहकारी लीडरों को गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान माननीय राष्ट्रपति जी ने 'एट होम रिसेप्शन' में सम्मिलित होने का दिया निमंत्रण।

17 जनवरी 2025, आणंद: भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी ने गुजरात के आणंद में एनडीडीबी द्वारा प्रवर्तित मुजकुवा सखी खाद सहकारी मंडली लिमिटेड (MSKSML) की अध्यक्ष श्रीमती हेमाबेन नरेशभाई पढ़ियार और सचिव श्रीमती जागृतिबेन संजयभाई पढ़ियार को 26 जनवरी 2025 को गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान आयोजित होने वाले ‘एट होम रिसेप्शन’ में सम्मिलित होने का निमंत्रण दिया है ।

उनकी उपलब्धियों की सराहना करते हुए, एनडीडीबी के अध्यक्ष डॉ. मीनेश शाह ने कहा, “मुजकुवा सखी खाद सहकारी मंडली लिमिटेड, जो अपनी तरह की पहली अनूठी खाद मंडली है, की महिलाएं नवोन्मेषी सृजन और महिला केंद्रित ग्रामीण आजीविका पहल, जो पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालती है, की पथ-प्रदर्शक के रूप में प्रतिष्ठित हो रही हैं। श्रीमती हेमाबेन और श्रीमती जागृतिबेन, जिन्होंने ‘गोबर से समृद्धि’लाने का अद्वितीय कार्य किया है, को दिया गया यह निमंत्रण ग्रामीण महिला सशक्तिकरण की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उनके कुशल नेतृत्व में सतत् कृषि पद्धतियों को बढ़ावा मिला है।” दोनों महिलाओं ने एनडीडीबी के बायोगैस और ऑर्गेनिक उर्वरक मॉडल को पूरे देश में प्रसारित करने में अहम भूमिका निभाई है। उनके इन सद्-प्रयासों के मान्यता स्वरूप, उन्हें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में आयोजित माननीय राष्ट्रपति के ‘एट होम रिसेप्शन’ में सम्मिलित लेने के लिए निमंत्रित किया गया है।

देश की पूर्णतः महिला संचालित खाद आधारित सहकारिता की लीडर, राष्ट्रपति भवन में प्रवेश करने और भारत की माननीय राष्ट्रपति जी के साथ छोटे किसानों के बायोगैस पहल के परिवर्तनकारी प्रभाव पर चर्चा करने के लिए आत्मविश्वास से लवरेज हैं। श्रीमती हेमाबेन ने कहा, “एनडीडीबी का बायोगैस और ऑर्गेनिक खाद मॉडल डेरी क्षेत्र को अधिक सस्टेनेबल बना रहा है। इसके अनेक लाभ हैं: खाना पकाने के लिए स्वच्छ ऊर्जा, अतिरिक्त स्लरी की बिक्री से आय, ऑर्गेनिक खाद, मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार और कृषि उत्पादकता में वृद्धि।” श्रीमती जागृतिबेन ने कहा, “बायोगैस संयंत्रों ने पारंपरिक रसोई ईंधनों जैसे लकड़ी और एलपीजी को प्रतिस्थापित किया है, जिससे प्रतिमाह 1500 रुपये की बचत संभव हुई है। साथ ही, महिलाओं को स्लरी की बिक्री से प्रतिमाह 3000 रुपये तक की अतिरिक्त आय अर्जित करने में मदद मिली है।”

2017 में मुजकुवा ग्राम डेरी सहकारी समिति के संचालन के शुरूआती समय से ही राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) मुजकुवा गांव से संबद्ध रहा है। इसका उद्देश्य आणंद के पास एक जीवंत प्रयोगशाला स्थापित करना है, जहां नए डेरी किसान-केंद्रित गतिविधियों का परीक्षण और प्रदर्शन किया जा सके। एनडीडीबी ने मुजकुवा गांव में नवीकरणीय ऊर्जा और प्रभावी डेरी प्रबंधन के क्षेत्र में कई अग्रणी पहल कीं। 2017-18 में एनडीडीबी द्वारा गोबर के प्रभावी प्रबंधन संबंधी पहल को अत्यधिक सराहा गया। एनडीडीबी ने गोबर की व्यापक संभावनाओं, जिससे भारत की 50% एलपीजी की आवश्यकताओं और 40% एनपीके (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम) आवश्यकताओं का तक पूरी की जा सकती हैं, को महत्व देते हुए गोबर आधारित बायोगैस संयंत्रों का पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने का लक्ष्य रखा।

श्रीमती हेमाबेन और श्रीमती जागृतिबेन के नेतृत्व में मुजकुवा गांव की महिलाएं, इस नई परियोजना को अपनाने के लिए उत्साहपूर्वक आगे आईं। शुरुआती तौर पर, कुछ बायोगैस संयंत्रों की सफलता के बाद, इनकी संख्या तेजी से बढ़ी। अब, इस गांव में कुल 182 बायोगैस संयंत्र स्थापित हो चुके हैं।

एनडीडीबी के सहयोग से, मार्च 2020 में मुजकुवा में भारत की पहली महिला-केंद्रित खाद सहकारी समिति की स्थापना की गई। इस सहकारी समिति ने स्लरी का उपयोग करके ऑर्गेनिक खाद बनाने के लिए व्यापक प्रयोग किए। अंततः, दूध उत्पादन मॉडल के आधार पर, एक स्लरी परीक्षण प्रणाली स्थापित की गई और प्रत्येक बायोगैस संयंत्र वाले घर को जियोटैग करते हुए स्लरी संकलन प्रणाली विकसित की गई। एनडीडीबी ने शुरुआती अनुदान सहायता के माध्यम से संपूर्ण स्लरी प्रसंस्करण प्रणाली स्थापित करने में इस सहकारी समिति की मदद की और व्यावसायिक संचालन के लिए मार्गदर्शन प्रदान करना निरंतर जारी रखा। उसके बाद, एक और गांव, जाकरियापुर, इस पहल में शामिल हो गया, जहां 100% पशुपालक परिवारों ने एनडीडीबी के सहयोग से बायोगैस संयंत्र स्थापित किए। इस प्रकार, इन दोनों गांवों की 450 महिला किसानों ने एनडीडीबी की खाद मूल्य शृंखला पहल का नेतृत्व किया। यह पहल ऑर्गेनिक खाद के उपयोग के माध्यम से मृदा स्वास्थ्य में सुधार ला रही है और मीथेन उत्सर्जन को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।

एनडीडीबी ने विभिन्न सहयोगी संस्थाओं के माध्यम से परस्पर विशेषज्ञता का लाभ लेते हुए पूरे देश में इस मॉडल को अमल में लाना शुरू कर दिया है। कई वर्षों के निरंतर प्रयासों से, एनडीडीबी ने पूरे देश में 27,000 से अधिक बायोगैस संयंत्र स्थापित करने में मदद की है और यह संख्या लगातार बढ़ रही है।