तकनीकी विकास
एनडीडीबी तकनीकी प्रगति और विकास की नियमित रूप से जानकारी रखती है और संयंत्र की डिजाइनिंग (अभिकल्पना) में अद्यतन तकनीक तथा विशेषताओं को शामिल करना तय करती है। नवीन परियोजनाओं में कुछ शामिल किए गए एप्लिकेशन निम्नानुसार हैं:
1. साबरकांठा (गुजरात) में शिशु आहार पाउडर संयंत्र और स्वचालित तरल दूध संयंत्र
- एनडीडीबी ने मार्च 2019 में गुजरात (साबरकांठा) में स्वचालित शिशु आहार पाउडर संयंत्र (क्षमता 120 मी टन/दिन) और तरल दूध के लिए 10 लाख लीटर/दिन क्षमता के संयंत्र की कमिशानिंग की । शिशु आहार संयंत्र में 2 (दो) एमवीआर इवॉपरेटर लगे हैं जिससे 5 मी. टन/घंटा की दर से निरंतर 24 घंटे का ड्राइंग (शुष्कीकरण) परिचालन सम्भव हुआ है। साथ ही यह संयंत्र 21 दिन लगातार चलने के लिए सक्षम है (वेट क्लीनिंग के बिना)। यह संयंत्र एसएमपी (स्किम्ड मिल्क पाउडर), डब्ल्यूएमपी(होल मिल्क पाउडर) और डीडब्ल्यू (डेरी व्हाइटनर) बनाने में भी सक्षम है।
- इस संयंत्र की विशिष्ट विशेषताएं इस प्रकार हैं: साइक्लॉन के साथ अपने स्थान पर ही साफ किया जा सकने वाला (सीआईपी-योग्य) बैग-हाउस; डेसीकेंट (शुष्कक) व्हील पर आधारित नमी सोखने वाली प्रणाली; नमी विश्लेषण हेतु ऑन-लाइन नमी विश्लेषण के उपयोग से उच्च/प्रगतिशील भविष्यसूचक नियंत्रण (एपीसी); इवॉपरेटर (वाष्पक) में कुल ठोस पदार्थ के मापन हेतु ऑन-लाइन मीटर; उत्प्रेरित कार्बन फिल्टर / विविध श्रेणी फिल्टर द्वारा पूर्व-शोधन/ प्री-फिल्टरेशन एवं कंडेन्शेट दूध के पुनरुपयोग हेतु यूएफ/आरओ संयंत्र।
- वास्तविक स्प्रे के पैटर्न को समझने हेतु सभी स्प्रे-नोजल के कैमरे से युक्त ऑन-लाइन “स्प्रे-मॉनिटरिंग” प्रणाली क्रियान्वित की गई है। इसी प्रकार, सुरक्षित/ जोखिम रहित संचालन हेतु “विद्युतीय वायवीय” नोजल-लॉकिंग प्रणाली लगाई गई है, जिसमें क्लोज फीडबैक प्रणाली भी शामिल है।
- संचालकों को प्रसंस्करण अनुक्रम से परिचित कराने के लिए संचालन केंद्र/एससीएडीए पर प्रत्येक प्रसंस्करण संचालन में एसएफसी के क्रियाकलापों का उपयोग किया जा रहा है तथा सुरक्षित एवं अनुकूल संचालनों के लिए पूर्व-जाचंकों/इंटरलॉक की आसानी से समझ प्राप्त की जा रही है ।
2. अपशिष्ट/दूषित पानी का शुद्धिकरण संयंत्र –
- बल्क मिल्क कूलर इकाई (बीएमसीयू) हेतु स्किड माउंटेड दूषित पानी शुद्धिकरण संयंत्र की कमिशनिंग एवं विकास
- घरेलू खाद्य अपशिष्ट से बायोगैस का उत्पादन
- डेरी में ईटीपी से प्राप्त स्लज (प्राथमिक डीएएफ स्लज एवं द्वितीयक एरोबिक स्लज) के उपचार के लिए थर्मोफिलिक कंटीनिवस स्टिर्ड टैंक रियेक्टर (टीसीएसटीआर) पर आधारित एनोरोबिक स्लज डाइजेस्टर की योजना और रूपरेखा बनाई गई है । वर्तमान में यह निर्माणाधीन है।
3. सौर ऊर्जा
- भाप उत्पन्न करने/पानी को गर्म करने के लिए प्रत्यक्ष सौर ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। एनडीडीबी द्वारा कार्यान्वित सभी नई परियोजनाओं में सीएसटी प्रणाली भी एक घटक रहेगा। वर्तमान में सीएसटी प्रणाली को उप्पूर डेरी, अजमेर डेरी और कात्रज डेरी (पुणे – 3 नं) में क्रियान्वित किया जा रहा है।
- सौर फोटोवोल्टेयिक (पीवी) प्रणाली: सौर पीवी पैनल और घटकों के मूल्यों में आए गिरावट को देखते हुए एनडीडीबी डेरी परियोजनाओं में भूमि या छत पर लगाने योग्य सौर पीवी पैनल स्थापित करने के लिए परामर्श दे रही है । अभी विचाराधीन परियोजनाएं हैं-> वीर्य केंद्र पूर्णिया, बिहार में 200 केडब्ल्यूपी क्षमता की प्रणाली, अजमेर डेरी की स्वचालित डेरी और पाउडर संयंत्र हेतु 750 केडब्ल्यूपी क्षमता की प्रणाली ।
- सौर बल्क मिल्क कूलर (बीएमसी): एनडीडीबी ने वर्ष 2019 में मुजकुवा दूध समिति में स्थित बीएमसी के लिए 5 किलोवाट क्षमता की सौर पीवी प्रणाली और थर्मल भंडारण प्रणाली स्थापित की ।
- एनडीडीबी एमएनआरई के सहयोग से इस प्रणाली को भारत भर में लगाने के लिए फ्रेमवर्क (ढाँचा) विकसित कर रही है।
4. हरित भवन
- हरित भवन के लिए निर्धारित मानकों का पालन करने वाली इमारतें अजमेर डेरी में निर्माणाधीन हैं। हरित भवन के दीर्घकालिक लाभ से सालाना 30-40 प्रतिशत ऊर्जा की बचत, 20-30 प्रतिशत पानी की बचत में और कम परिवर्तनशील जैविक यौगिकों के उपयोग द्वारा ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने में योगदान मिल सकता है ।
- 400 किमी के दायरे में 75 प्रतिशत भवन निर्माण सामग्री की आपूर्ति कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करने में सहायक है और इसके द्वारा ग्लोबल वार्मिंग (भूमंडलीय तापक्रम वृद्धि) में कमी लाने में योगदान दिया जा रहा है ।
- एनडीडीबी अजमेर डेरी को हरित भवन के रूप में परिकल्पित कर विकसित किया है । यह भारत में पहली हरित डेरी होगी ।
5. जैव-नियंत्रण प्रयोगशाला एवं (जीएमपी) वैक्सीन उत्पादन सुविधा
- जैव-नियंत्रण का उद्देश्य संक्रामक सूक्ष्मजीवों या विषाक्त पदार्थों का नियंत्रण करना है तथा इसके जरिए प्रयोगशाला के बाहर कार्यरत प्रयोगशाला के कामगारों या व्यक्तियों के सम्पर्क की संभावना में कमी लाना तथा पर्यावरण में इसके आकस्मिक स्राव की संभावना में कमी लाना। प्रयोगशाला प्रक्रियाओं नियंत्रण उपकरण, व्यक्तिगत रक्षात्मक उपकरण तथा प्रयोगशाला एवं सुविधा डिजाइन के प्रयोग द्वारा भौतिक नियंत्रण हासिल किया जाता है ।
- इस सुविधा की डिजाइन एवं संरचना व्यक्तियों, पशुओं तथा प्रयोगशाला के बाहर संक्रामक अथवा आकस्मिक रूप से प्रयोगशाला से स्रावित होने वाले विषाक्त पदार्थों की सुरक्षा हेतु एक अवरोध उपलब्ध कराती है । अभियांत्रिकी नियंत्रण में शामिल हैं:- नॉन-पोरस (खाद्य रेशे), आसानी से साफ होने वाली सतह, इंटरलॉक डोर, जो प्रयोगशाला में प्रवेश को नियंत्रित करे, ‘’हैंड्स फ्री’’ सिंक जो संक्रामक एवं विषाक्त पदार्थ से होने वाले अनजाने जोखिम में कमी लाता है तथा प्रयोगशाला की निर्देशात्मक वायु हैंडलिंग प्रणालियां हैं जो प्रयोगशाला की वायु को साफ करती हैं । सुविधाओं में शामिल हैं: प्राथमिक नियंत्रण जैव-संक्रामक सामग्री से प्रत्यक्ष संपर्क की रोकथाम करता है तथा कार्मिकों के संक्रामक पदार्थों के संपर्क से प्रयोगशाला के तात्कालिक परिवेश की सुरक्षा करता है। द्वितीयक नियंत्रण संक्रामक सामग्रियों के संपर्क से प्रयोगशाला के बाह्य परिवेश की सुरक्षा करता है।
- एनडीडीबी ने भुवनेश्वर और भोपाल में आईसीएआर के लिए स्तर 3+ के बड़े जैव-कंटेनर प्रयोगशाला और पशु प्रयोगशाला, बेंगलुरु में बीएसएल-2+ प्रयोगशाला, पशु परीक्षण इकाई ( एलएटीयू), तनुवास में बीएलएल 3 प्रयोगशाला स्थापित की है।
- एनडीडीबी ने पशु रोग जैसे एंथ्रेक्स, ब्रुसेला, एफएमडी, एचएस, बीक्यू, शीप पॉक्स इत्यादि के लिए (बैक्टीरियल / वायरल) वैक्सीन निर्माण (जीएमपी) सुविधा में भी विशेषज्ञता हासिल की है।