तथ्य एक नज़र में
तथ्य एक नज़र में
पहुंच
डेरी सहकारी नेटवर्क (मार्च 2013 को)
- इसमें 183 दूध संघ शामिल हैं
- 418 से अधिक जिलों में कार्य करती हैं
- 1,55,634 ग्रामीण स्तर की समितियां शामिल हैं
- लगभग 1.51 करोड़ किसान सदस्यों के स्वामित्व में हैं जिसमें से 43 लाख से अधिक महिलाएं हैं ।
दुग्ध उत्पादन
- भारत का दूध उत्पादन 1968-69 में 2.12 करोड़ टन से बढ़कर 1995-96 में 6.62 करोड़ टन तथा 2012-13 में 13.24 (अनुमानित) करोड़ टन हो गया है।
- दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 2012-13 में करीब 297 ग्राम प्रतिदिन थी । यह 1995-96 में प्रतिदिन 195 ग्राम और 1968-69 में 112 ग्राम प्रतिदिन थी।
- भारत के दूध उत्पादन में 2002-03 से 2012-13 के दौरान लगभग वार्षिक 4.4% की वृद्धि हुई जो जनसंख्या में हुई 1.6% की वृद्धि से अधिक है, उपलब्धता में शुद्ध वृद्धि प्रति वर्ष करीब 2.8% है।
अधिप्राप्ति
- सहकारी समितियों द्वारा दूध की दैनिक औसत अधिप्राप्ति 2002-03 के 180 लाख किलो ग्राम से बढ़कर 2012-13 में करीब 328 लाख किलो ग्राम हो गई है।
- डेरी सहकारिताओं द्वारा उत्पादक सदस्य को वार्षिक भुगतान का मूल्य 2012-13 में करीब रु.260 अरब से अधिक रहा था ।
विपणन
- 2012-13 में औसतन दैनिक सहकारी दूध विपणन 238 लाख लीटर था, पिछले दशक की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर का औसत 5.6 प्रतिशत है ।
- डेरी सहकारी समितियां अब सभी महानगरों, प्रमुख शहरों और 2000 से अधिक कस्बों /शहरों में दूध का विपणन करती हैं।
- 2002-12 में सहकारी समितियों द्वारा प्रति 1000 शहरी उपभोक्ताओं की प्रतिदिन दूध आपूर्ति 46.3 से बढ़कर 63.5 किलो ग्राम प्रतिदिन हो गई है।
नवीनता
- थोक में बिक्री – पैसे और पर्यावरण संरक्षण की बचत
- दूध, कमी वाले क्षेत्रों में 2200 किमी तक की दूरी तक अभिनव रेल और सड़क दूध टैंकरों द्वारा तय करता है।
- स्वचालित दूध संग्रह इकाई (एएमसीयू) तथा थोक दूध कूलर (बीएमसी) जमीनी स्तर पर – गुणवत्ता बनाए रखते हैं और खरीद के बाद नुकसान को कम करते हैं।
बृहद प्रभाव
- 2012-13 में भारत के अनुमानित दूध उत्पादन का वार्षिक मूल्य रु. 2900 अरब से अधिक है ।
- डेरी सहकारी समितियां करीब 1.5 करोड़ कृषक परिवारों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करती हैं।
- पशुधन कृषक तथा संबंधित गतिविधियों द्वारा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 22.4 प्रतिशत का योगदान देता है।
- पशुधन क्षेत्र में करीब 2.24 करोड़ लोग काम करते हैं जो देश में कुल कार्य बल का करीब 5.8 प्रतिशत है।