अध्यक्ष, एनडीडीबी ने मुजकुवा डेरी सहकारी समिति में खाद प्रबंधन पहल के अगले चरण का शुभारंभ किया
अध्यक्ष, एनडीडीबी ने मुजकुवा डेरी सहकारी समिति में खाद प्रबंधन पहल के अगले चरण का शुभारंभ किया
आणंद, 23 अक्तूबर, 2020: श्री दिलीप रथ, अध्यक्ष, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) ने 23 अक्टूबर, 2020 को मुजकुवा डेरी सहकारी समिति (डीसीएस) में एक कार्यक्रम में एनडीडीबी समर्थित खाद प्रबंधन पहल के अगले चरण का शुभारंभ किया। श्री मीनेश शाह, कार्यकारी निदेशक, एनडीडीबी; श्री चिमनभाई पुनमभाई पडियार, अध्यक्ष, मुजकुवा डीसीएस; सुश्री हेमाबेन नरेशभाई पाढियार, अध्यक्ष, सखी खाद मंडली; सुश्री सरोजबेन ठाकोरभाई पढियार, सरपंच और श्री मनुभाई पडियार, पूर्व सरपंच ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
इस कार्यक्रम के दौरान, महिला किसानों को बायोगैस संयंत्र और नव स्थापित मुजकुवा सखी खाद सहकारी मंडली को एनडीडीबी के ट्रेडमार्क 'सुधन’ को जैव घोल-आधारित जैविक खाद बनाने के लिए दिया गया। मुजकुवा गांव की 150 महिला किसानों को पहल के अगले चरण के लिए बायोगैस संयंत्र मंजूर किए गए हैं। ये पहले स्थापित किए गए 42 बायोगैस संयंत्रों के अतिरिक्त हैं। आयुर्वेदिक पशु चिकित्सा (एवीएम) को बढ़ावा देने के लक्ष्य्य के साथ महिला किसानों को औषधीय पौधे भी वितरित किए गए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री दिलीप रथ ने मुजकुवा की महिला किसानों की सराहना की आगे आने और बायोगैस संयंत्रों की एक नई तकनीक को अपनाने के लिए। एनडीडीबी के खाद प्रबंधन पहल के तहत, डेरी किसान बायोगैस प्लांटों को अपने घरों के पिछले हिस्से में रसोई के लिए ईंधन बनाने के लिए लगाते हैं।
इन बायोगैस संयंत्रों से उत्पादित जैव घोल मुख्य रूप से किसानों द्वारा अपने खेत में उपयोग किया जाता है और बचा हुआ जैव घोल अन्य किसानों को बेचा जाता है या जैविक उर्वरकों में परिवर्तित किया जाता है। मुजकुवा सखी खाद सहकारी मंडली, जो पहले महिला सदस्यों से बायो स्लरी के प्रबंधन और बिक्री का समन्वय कर रही थी, अब जैविक खाद का प्रसंस्करण और निर्माण भी करेगी।
एनडीडीबी का सुधन ट्रेडमार्क मंडली को एक पहचान बनाने और उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
जैविक खाद के प्रसंस्करण और निर्माण के क्षेत्र में कदम रखने के मुजकुवा सखी खाद सहकारी मंडली के निर्णय की सराहना करते हुए, श्री रथ ने कहा कि यह मंडली, जो देश की पहली महिला खाद सहकारी मंडली है, राष्ट्र भर में इस तरह की कई और पहल को प्रेरित करेगी। उन्होंने आगे कहा कि एनडीडीबी ने बिहार के बेगूसराय जिले और ओडिशा के कटक जिले में भी ऐसी दो और परियोजनाओं की सहायता करने का काम शुरू किया है।
इन बायोगैस संयंत्रों के साथ पिछले दो वर्षों के अनुभव से यह साबित होता है कि उपयोगकर्ताओं द्वारा खाना पकाने के ईंधन के खर्चे में बचत हुई है। इसके अलावा, सभी महिला बायोगैस उपयोगकर्ताओं ने ईंधन के लिए लकड़ी लाने और जलाने में और इससे संबंधित स्वास्थ्य खतरों में कमी आने की सूचना दी है।